प्रदेश के ग्रामीण अंचलों की महिलाएँ स्व-सहायता समूह से जुड़कर सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान की मिसाल कायम कर रही हैं, स्वयं का व्यवसाय स्थापित करके, व्यवसाय को कुशलतापूर्वक चला भी रही हैं। ये महिलायें अब अपने परिवार को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में सफल होती नजर आ रही हैं।
सवाई माधोपुर जिले के ग्राम श्यामोता की रूमाली देवी पति के साथ मेहनत मजदूरी कर बमुश्किल परिवार का पालन-पोषण कर पाती थी। ग्राम श्यामोता में रणथम्भौर सेवा संस्थान ने नाबार्ड आदिवासी जनजाति विकास निधि के तहत गांव की 10 महिलाओं को प्रशिक्षण देकर स्व-सहायता समूह का निमार्ण किया। रूमाली देवी को भी हनुमान स्व-सहायता समूह की गतिविधियों से प्रेरणा मिली तो समूह की सदस्यता ग्रहण की। समूह में जुड़ने से इसके परिवार की दिशा और दशा दोनों में सकारात्मक बदलाव आया है। रूमाली देवी ने स्व-सहायता समूह से 5 हजार रूपये ऋण लेकर किराना की दुकान खोली। दुकान अच्छी तरह चल रही है। समूह का ऋण चुकता कर रूमाली देवी ने केवल छह महीने में ही फिर से 25 हजार रूपये का ऋण लिया। इस महिला ने ऋण ब्याज सहित समूह को वापस कर दिया है । अपने किराना और गल्ला व्यापार से 15 हजार रूपये मासिक आसानी से कमा रही है। रूमाली देवी एवं उसके पति अब मजदूरी छोड़कर केवल दुकान चलाते हैं।
समूह के अन्य सदस्यों का कहना है कि वे अपनी छोटी-छोटी आवश्यकताओं के लिए साहूकारों व अन्य पर निर्भर थे। उन्हें कर्ज लेना पड़ता था और ब्याज की रकम भी बहुत अधिक होती थी । परन्तु अब स्वयं सहायता समूह से ऋण लेकर जरूरते आसानी से पूरी कर लेते हैं। हम सारी महिलाएँ नाबार्ड आदिवासी जनजाति विकास निधि और रणथम्भौर सेवा संस्थान को धन्यवाद देते हैं।